मन
मन भी क्या चीज हैं
स्वपनों की जंजीर हैं
चाहे वह पूरा हो या न हो
पर इसकी अपनी एक तकदीर हैं
कभी धरती कभी अम्बर
कभी पताल ले जाता हैं
बन के कभी बादल
हाथ नहीँ आता हैं
मन मार्ग दर्शन करे
आँख स्वपनों को सजाता हैं
लाके ऐसे जग छोड़े
इंसान जीवन भर पश्चता हैं
मन की सिर्फ बात न माने
इसके साथ कुछ और विचारे
कभी मथुरा कभी काशी
कभी ले जाएँ खाड़ी मे
मन को क्या कहना भईया
तन सहें ज़िन्दगानी में
मन हैं चंचल घोड़े जैसा
अच्छी लगाम चाहिए
ए कही कुदक फुदक न जाएँ
लगाम टाइट रखीये
जीवन में आपके फूल खिले
सुखों से सीचीए
मन भी क्या चीज हैं
स्वपनों की जंजीर हैं
स्वपनों की जंजीर हैं
चाहे वह पूरा हो या न हो
पर इसकी अपनी एक तकदीर हैं
पर इसकी अपनी एक तकदीर हैं
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This picture is show mn like horse but not command of mine |
Dil ki chahat(mn)
Reviewed by Hindienglishpoetry
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7:16 AM
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