Poem on modi
(हमारे शुभचिंक)
कह दे कोई हमारे शुभचिंको से
हमारी चिंता करना छोङ दे
जनता की आङ मे अपनी
राजनीती करना छोङ दे
बर्षो बाद इस देश
सच्चाई की नारा आया है
बङे बङे बेईमानो को
ईमनदारी का पाठ पढाया है
जनता जनता खुब चिल्लाते हो
और अपनी पेट खुजलाते हो
जनता की ही मत लेकर
जनता को ही मुर्ख बनाते हो
आरे शर्म आनी चाहिए तुम सब को
आपनी इस खुदारी पे
गरीबो का नाम लेकर
अपनी इस लचारी पे
बर्षो बाद इस देश मे
ऐसा नेता आया है
सोए हुए बीजो मे
थोङी सी नमी लाया है
फेक दो उन कीङो को
जो अपनी टांग लङाते है
भारत की पवित्र भुमी पे
गंदा शिश झुकाते है
अपनी मतो से तुम्हे चुनकर
शिर्ष पर बैठाया है
देश हमारा आगे बढे
यही उमीद लगाया है
जनता की मदत कीए बजाए
जनता जनता खुब चिल्लाते हो
और जनता की ही आङ मे
अपनी पेट खुजलाते हो
Poem on modi
Reviewed by Hindienglishpoetry
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11:21 PM
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