Mere muhbbat ki nagari me
मेरे मुहब्बत की नगरी में
मेरे मुहब्बत की नगरी में
अँधेरा हो चला हैचाँद ढल ही जाएँगा
अब सूरज निकलने वाला है
तेरे मेरे प्यार की
नगरी जलने वाला है
तेरे बिन न रहने वाला
ये दिल कह रहा है
अभी से मेरी आँखे
नम हो रही है
खिली हुई कालिया
मुरझाने लगी है
तड़पने लगी है
मुहब्बत की आँसू
सूरज की ललिया
अब पड़ने लगी है
अब सुख ही जायेगे
मेरे मुहब्बत की रंग
बरसने लगी है
सूरज की तरंग
क्या है ये
जो हम समझ नहीं पाते
दिल की भावना में
बहते चले जाते
चाँदनी रात में
चाँद तारे मुस्कुराते
मिलते देख दो दिल
फूल भी खिल जाते
पर इस दुनिया को
रास कहाँ आई
मेरे मुहब्बत को
नज़ारे लगाई
तुमने भी मेरे
दर्द को न जाना
दिल में बसा के
बनाया बेगाना
कोई तो बताये की
अब मै क्या करू
गम को पिऊ
या पिऊ शराब
Mere muhbbat ki nagari me
Reviewed by Hindienglishpoetry
on
9:39 PM
Rating:

No comments:
thanks for visiting blog